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मालगा की यात्रा, नौ भाग शृंखला का भाग ६

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तो, मैं कर्म से घृणा करती हूँ, मैं व्यक्ति से घृणा नहीं करती। कर्म को पीटने, डाँटने, अपमान करने, मारने, कुछ भी के योग्य है! वायलती प्रेम के योग्य है, क्योंकि वह इस कर्म का और आदत का और सामाजिक दूषण का शिकार है।
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