पवित्र जैन धर्म ग्रंथ "उत्तराध्ययन" से, व्याख्यान 19 – मृगा का पुत्र, 2 का भाग 12025-09-01ज्ञान की बातेंविवरणडाउनलोड Docxऔर पढो"जब महाप्रतापी मृगापुत्र को अपने पूर्वजन्म का स्मरण हुआ, तो उन्हें अपने पूर्वजन्म तथा अपने श्रमण (तपस्वी) होने का स्मरण हो आया।"