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इतने लंबे समय तक संघर्ष करने के बाद, हमें एहसास होगा कि जिस वास्तविक बाधा पर हमें काबू पाना है, वह हम स्वयं हैं, हमारी त्रुटिपूर्ण पूर्वधारणाएं हैं, और हमारी प्रतिकूल आदतें हैं, जो हमें प्रेम और खुशी का अनुभव करने से रोकती हैं।पहाड़ मैं ही हूँ, भय का यह पहाड़। मुझे इसे जीतना ही होगा, नहीं तो मैं मिट जाऊँगा इस काले जादू की छाया से, वरना मैं अकेले ही मर जाऊंगा... डर में!जल्द ही हम दर्द के इतने आदी हो जाएंगे कि हम खुशी को पहचान ही नहीं पाएंगे जब भी वह वापस आएगी! गरीबों की तरह, कम में भी संतुष्ट।जल्द ही हम अकेले रहने के इतने आदी हो जायेंगे कि हम कभी एक साथ नहीं रह सकेंगे, जैसे उत्तरी ध्रुव में पैदा हुए जंगली भालू केवल सर्दियों को ही जानते हैं!जितना अधिक प्रयास, उतना ही अधिक असफलता। बारिश की तरह – युवा पहाड़ी से लुढ़कते हुए। प्रेम और भावनाएँ जंग खा गयी हैं, बेकार पडे मशीनों की तरह!पहाड़ मैं ही हूँ, भय का यह पहाड़। मुझे इसे जीतना ही होगा, नहीं तो मैं मिट जाऊँगा इस काले जादू की छाया से, वरना मैं अकेले ही मर जाऊंगा... डर में!सहस्राब्दियों से हमारा विश्व संघर्षों और आपदाओं से घिरा रहा है। त्रासदी के समय, मानवता ने अक्सर एक ऐसे अद्भुत स्थान का सपना देखा है जहां आपदाएं, भूख और गरीबी के बारे में सुना भी न गया हो - एक खोया हुआ स्वर्ग, एक भूला हुआ मातृभूमि। हम उस दिन का सपना देखते हैं जब हम स्वर्गीय राज्य में लौट सकेंगे, जहाँ करुणा, खुशी और शांति व्याप्त होगी। गीत "Lost Horizon" मानवता के इस साँझा सपने को व्यक्त करता है।क्या तुमने कभी सपना देखा है एक ऐसी जगह का, इन सबसे दूर, जहां हवा जो तुम सांस में भरते हो मुलायम और स्वच्छ हो, जहां बच्चे खेलें हरे-भरे खेतों में, जहां बंदूक की आवाज़ कभी तुम्हारे सपनों को न कुचले।क्या तुमने कभी सपना देखा है एक ऐसी जगह का, इन सबसे दूर, जहां सर्द हवाएँ कभी न चलें, और जीवों के लिए उन्हें बढ़ने की पूरी जगह हो, जहां बंदूक की आवाज़ कभी तुम्हारे सपनों को न कुचले।कल से कई मील दूर, कल तक पहुँचने से पहले, एक खोया हुआ क्षितिज है, जिसे खोजा जाना बाकी है। एक खोया हुआ क्षितिज है, जहाँ बंदूक की आवाज़ कभी तुम्हारे सपनों को न कुचले।प्रत्येक बिछड़न और विदाई दुःख से भरी होती है। एक क्षण में ही आंतरिक भावना और बाह्य दृश्य अलग हो जाते हैं; हमारी दुनियाएं एक दूसरे से अलग हो गई हैं। जो कुछ बचा है, वह केवल खोए हुए स्वर्ग की स्मृति है। “गुफ़ा का मुखड़ा, पर्वत की चोटी, चल पड़े मार्ग की धुली पगडंडी, हज़ार वर्षों तक आनंदित होने को, चाँद की छाया तले…” यदि किसी दिन कोई व्यक्ति अतीत के स्थान पर वापस लौटता है, तो दिव्य स्वप्न अभी भी पहले की तरह ही बना रहता है।आड़ू के पत्ते बिखरे स्वर्ग की राह पर, मधुर झरना और गुँजती बुलबुल अलविदा कहते दुखी स्वर में। परी लोक में आधा वर्ष बीता, धरती पर एक कदम रखा, पुराने सपनों का अंत और प्रेम के अवशेष! घिसे-पिटे कंकड़, मुरझाए काई, जल बहता है, फूल बहते हैं। एक सारस ऊँचे आकाश में उड़ता है, स्वर्ग और पृथ्वी अलग हुए इस क्षण से हमेशा के लिए। गुफ़ा का मुखड़ा, पर्वत की चोटी, चल पड़े मार्ग की धुली पगडंडी, हज़ार वर्षों तक आनंदित होने को, चाँद की छाया तले…"मुझे मत भूलना" नामक एक स्वप्निल फूल है, जिसका रंग स्वर्ग के रंग जैसा है। "मुझे मत भूलना" हमें विनम्रतापूर्वक ईश्वर के शाश्वत आह्वान की याद दिलाता है कि हम उन्हें, हमारे सर्वदाता सृष्टिकर्ता को, कभी न भूलें।हमारे लिए ईश्वर का प्रेम सदैव विश्वासयोग्य, भावुक और निःस्वार्थ है। लेकिन इस भागदौड़ भरी दुनिया में, हम अक्सर विचलित हो जाते हैं और उनसे दूर हो जाते हैं, जीवन-पर्यंत भ्रामक सांसारिक इच्छाओं के पीछे निरर्थक भागते रहते हैं। एक दिन, हम जागेंगे और महसूस करेंगे कि जिस शाश्वत आनंद की हम तलाश कर रहे हैं, वह यहीं है, हमारे परमप्रिय, स्वर्ग में हमारे महानतम पिता की गोद में।अब हम सुप्रीम मास्टर चिंग हाई द्वारा रचित इसी शीर्षक वाले एक गीत, "मुझे मत भूलना" का वाद्य संगीत प्रस्तुत करना चाहते हैं। कृपया आनंद लें।











